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अमर उजाला ने शुरू किया ‘सत्ता का संग्राम’, देशभर में मतदाताओं की टटोलेगा नब्ज

यह चुनावी रथ 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा तय करेगा। बुधवार को उत्तर प्रदेश के कैराना और राजस्थान के अलवर से इसकी शुरुआत भी हो गई।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 27 March, 2024
Last Modified:
Wednesday, 27 March, 2024
Satta Ka Sangram


देश के प्रमुख पब्लिकेशंस में शुमार ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) ने आम चुनाव के मद्देनजर देशभर के मतदाताओं की नब्ज टटोलने की कवायद शुरू कर दी है। इसी के तहत अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' बुधवार से जनता के बीच पहुंच गया। लोकसभा चुनाव के दौरान दो महीने तक अमर उजाला इस चुनावी रथ के साथ विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मतदाताओं के बीच जाएगा और सीधे उन्हीं से जानेगा कि इस चुनाव में उनके क्या मुद्दे हैं और किन मुद्दों पर वे अपना जनप्रतिनिधि चुनना चाहते हैं?

यह चुनावी रथ 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा तय करेगा। बुधवार को उत्तर प्रदेश के कैराना और राजस्थान के अलवर से इसकी शुरुआत भी हो गई। इसके बाद यह चुनावी रथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत अलग-अलग राज्यों से गुजरते हुए तकरीबन 150 लोकसभा सीटों को कवर करेगा।

हर दिन जानेगा नई लोकसभा सीट का मिजाज: अमर उजाला का यह चुनावी रथ हर रोज नई लोकसभा सीटों पर जाएगा। इस दौरान संबंधित लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं से चाय पर चर्चा होगी। अनौपचारिक बातचीत में जनता के मुद्दों, उनकी समस्याओं पर चर्चा होगी। रथयात्रा युवाओं के बीच जाएगी, जहां उनकी समस्याओं और उम्मीदों पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही नए भारत के नए मतदाताओं की सपनों की उड़ान को पंख कैसे लगेंगे, इस पर भी चर्चा होगी।

हर शाम विशेष राजनीतिक चर्चा: नेता और उम्मीदवार किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं, जनता उन्हें ही क्यों वोट दे? ऐसे सवालों के जवाब हर शाम होने वाली चुनावी चर्चा में नेताओं से जानेंगे। आप भी अमर उजाला के इस मंच से जुड़ सकते हैं।

यह होगा खास: 'सत्ता का संग्राम' के तहत अमर उजाला हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। इसके जरिये आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश से जुड़े मुद्दों को उठा पाएंगे। अमर उजाला आपको एक मंच दे रहा है। यहां आप अपनी बात रख सकेंगे ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दें भी याद रहें।

इस विशेष कवरेज को आप यहां देख सकेंगे : amarujala.com, अमर उजाला के यूट्यूब चैनल और फेसबुक चैनल पर 'सत्ता का संग्राम' से जुड़े कार्यक्रम लाइव देखे जा सकेंगे। 'सता का संग्राम' से जुड़ा व्यापक जमीनी कवरेज अमर उजाला अखबार में भी पढ़ सकेंगे।

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वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को किया गिरफ्तार, धोखाधड़ी का आरोप

वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 10 October, 2024
Last Modified:
Thursday, 10 October, 2024
MaheshLanga7845

वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है। अहमदाबाद की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को उन्हें 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। महेश लांगा को 13 कंपनियों और उनके मालिकों के खिलाफ दायर एक कथित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।

इस मामले में लांगा के अलावा तीन अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिनकी पहचान अयाज इकबाल हबीब मालदार (30), अब्दुलकादर समद कादरी (33) और ज्योतिष मगन गोंडालिया (42) के रूप में हुई है। अहमदाबाद अपराध शाखा (डीसीबी) को इन चारों की 10 दिन की पुलिस कस्टडी मिली है। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अजीत राजियन ने बताया कि उन्होंने 14 दिनों की रिमांड मांगी थी, लेकिन अदालत ने 10 दिन की अनुमति दी।

अधिकारियों के अनुसार, यह धोखाधड़ी सरकार के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने वाली बताई जा रही है, जिसमें आरोपी फर्जी बिलों के जरिए आईटीसी का गलत तरीके से लाभ उठा रहे थे। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि इस घोटाले में 220 से अधिक बेनामी कंपनियां शामिल हैं, जिनका संचालन जाली दस्तावेजों के आधार पर किया गया था।

क्राइम ब्रांच ने लांगा के घर पर छापा मारकर 20 लाख रुपये नकद, कुछ सोने के गहने और जमीनों के दस्तावेज भी जब्त किए हैं। यह कार्रवाई केंद्रीय जीएसटी विभाग की शिकायत के बाद अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत, खेड़ा और भावनगर में छापेमारी के बाद की गई।

केंद्रीय जीएसटी विभाग के अधिकारियों का आरोप है कि महेश लांगा की पत्नी और पिता के नाम पर जाली दस्तावेज बनाए गए, जिनका उपयोग उन फर्जी कंपनियों में संदिग्ध लेन-देन के लिए किया गया था। मामले की जांच अभी जारी है।

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डॉ. कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुआ अभिनंदन समारोह

लगभग उसी समय डॉ. सिंह ने अपने निजी जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया, उन्होंने नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी से विवाह किया। वे दोनों शालीनता और गरिमा के उदाहरण थे।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 08 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 08 October, 2024
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ऐसे मौक़े बहुत कम आते है जब देश की महान हस्तियाँ निष्पक्ष भाव से भाव विभोर होकर अपनी अभिव्यक्तियों को सार्वजनिक करती हैं। ऐसा ही सुअवसर नई दिल्ली में एक समारोह में देखने को मिला। अवसर था 93 वर्षीय पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली के इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित अमृत वर्ष अभिनंदन समारोह का जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का उपस्थित रहना और मंच पर कई बार एक दूसरे के साथ हँसी मजाक तथा परस्पर आदर सम्मान की भावनाओं की अभिव्यक्ति करना सभी उपस्थित लोगों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ गया।

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने अपने सम्बोधन में कहा मैं सचमुच बहुत अभिभूत हूँ, यह मेरे लिए एक ऐसा क्षण है जिसे मैं सदैव याद रखूँगा, इस स्थान पर, इस पद पर, इस अवसर पर मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वे डॉ. सिंह पर अपनी असीम कृपा बनाए रखें ताकि वे हमारे बीच बने रहें और अपने उत्कृष्ट गुणों, प्रेरक व्यवहार और विद्वत्तापूर्ण व्यक्तित्व के माध्यम से राष्ट्र और मानवता की सेवा करते रहें। मुझे सांसद, केंद्रीय मंत्री, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति रहते हुए उनके अनुभव से लाभ उठाने का सौभाग्य मिला हैं।

धनखड़ ने कहा कि हाल ही में, मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे उनके साथ कई अवसरों पर बातचीत करने का मौका मिला और मैं उनके गहन ज्ञान और अमूल्य मार्गदर्शन से प्रेरणा लेता रहा। पिछली बार मुझे डॉ. कर्ण सिंह के बारे में बोलने का सौभाग्य उनके 90वें जन्मदिन के अवसर पर मिला था। सार्वजनिक सेवा में उनकी यात्रा उसी दिन शुरू हुई जिस दिन उनका जन्म हुआ था। डॉ. सिंह की सादगी, विनम्रता और गर्मजोशी भरे व्यवहार की व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों ने लगातार समाज और राष्ट्र दोनों को लाभान्वित करते हुए इनकी व्यापक भलाई की है।

शायद आज के कार्यक्रम के आयोजकों के मन में 1949 का वह महत्वपूर्ण दिन था, जब उन्होंने डॉ. सिंह की 75 साल की सार्वजनिक सेवा का सम्मान करने का फैसला किया। लगभग उसी समय डॉ. सिंह ने अपने निजी जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया, जब उन्होंने नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी से विवाह किया। साथ में, वे दोनों शालीनता और गरिमा के उदाहरण थे, जो उन सभी के भी प्रिय थे, जिन्हें उन्हें जानने का सौभाग्य मिला। मेरे कई डोगरा मित्र डॉ. सिंह के व्यक्तिगत गुणों की प्रशंसा करते हैं तथा उनके ज्ञान और गर्मजोशी की प्रशंसा करते हैं, जबकि यशोराज्य लक्ष्मीजी को गहरे स्नेह, प्रेम और सम्मान के साथ याद करते हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. सिंह के योगदान को सिर्फ़ 75 वर्षों तक सीमित करना उनकी शानदार विरासत की व्यापकता को बयां नहीं कर सकता। फ्रांस में जन्मे, वे लाक्षणिक रूप से अग्नि में तप कर इतिहास के साक्षी बने और इतिहास में ऐसे भागीदार बने जिसका दावा बहुत कम लोग कर सकते हैं। डॉ. कर्ण सिंह उन कुछ लोगों में से हैं जिन्हें 75 वर्षों से अधिक समय तक बाहरी दृष्टि और बाहरी राजनीति के साथ अंदरूनी ध्यान के साथ राजनीति के अंदरूनी सूत्र होने का लाभ मिला। इस अर्थ में वे गणतंत्र से भी पुराने हैं।

धनखड़ ने कहा कि डॉ. कर्ण सिंह का योगदान विशाल और स्थायी है। जब भारत के पूर्व राजा महाराजाओं, राजकुमारों और देश की एकता को मजबूत करने में उनकी भूमिका का इतिहास लिखा जाएगा, तो निस्संदेह डॉ. सिंह को बहुत सम्मान दिया जाएगा। 1967 में शाही सुख-सुविधाओं से,विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक राज्य प्रमुख के रूप में, चुनावी राजनीति में नाटकीय परिवर्तन करने का उनका निर्णय एक साहसिक और दूरदर्शी कदम था।

ऐसा करके उन्होंने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, 13 मार्च 1967 को 36 वर्ष की आयु में वे केंद्रीय मंत्रिमंडल के सबसे कम उम्र के सदस्य बन गए। यह न केवल उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, बल्कि देश के युवाओं के आगमन का भी संकेत था, जो जिम्मेदारी उठाने और राष्ट्र के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार थे। डॉ. सिंह लंबे समय से अंतर-धार्मिक सद्भाव के हिमायती रहे हैं, उन्होंने कई सार्वजनिक बैठकों और सम्मेलनों में इसके लिए वकालत की है, जिनमें से कई का अच्छी तरह से दस्तावेजीकरण किया गया है।

पिछले कुछ वर्षों में, वे आध्यात्मिकता और दर्शन के क्षेत्र में इतने प्रमुख व्यक्ति बन गए हैं कि जब भी महान विचारकों का उल्लेख किया जाता है, तो उनका नाम स्वाभाविक रूप से सामने आता है। विवेकानंद की बात करें तो डॉ. सिंह का नाम दिमाग में आता है। अरबिंदो का जिक्र करें तो डॉ. सिंह उनके सबसे विद्वान शिष्यों में से एक के रूप में सामने आते हैं। उनके ज्ञान और काम का विशाल भंडार, जिसमें दर्जनों किताबें शामिल हैं, उनकी बौद्धिक खोज की गहराई को दर्शाता है। एक सच्चे कवि-दार्शनिक के रूप में उन्होंने दर्शन, आध्यात्मिकता और पर्यावरण जैसे विविध विषयों का अन्वेषण किया है। अपनी मातृभाषा डोगरी के प्रति उनका गहरा प्रेम उनकी लिखी कई किताबों में झलकता है।

धनखड़ ने कहा कि शायद उनकी सबसे कम सराहना की जाने वाली उपलब्धियों में से एक भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर बाघ भारत की वन्यजीव विरासत का प्रतीक बना हुआ है और “प्रोजेक्ट टाइगर” पहल के माध्यम से इसका अस्तित्व सुनिश्चित किया जा रहा है, तो यह काफी हद तक डॉ. सिंह की अटूट प्रतिबद्धता के कारण है। इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उन्हें कभी-कभी उनके विचारों और कार्यों में दृढ़ता और ताकत के लिए प्यार से “बाघ” के रूप में संदर्भित किया जाता है।

इस अवसर पर डॉ. कर्ण सिंह ने अपने सार्वजनिक जीवन के 75 वर्षों की गाथा का सिलसिलेवार ज़िक्र किया और देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू , इन्दिरा गांधी , राजीव गाँधी के अलावा फ़ारूख अब्दुल्ला आदि के साथ ही अपनी धर्म पत्नी, बच्चों,निजी सचिवों और निजी सेवकों तक के नामों का ज़िक्र किया। साथ ही बताया कि यदि सरदार वल्लभ भाई पटेल अमरीका जाकर इलाज कराने की सख्त हिदायत एवं सलाह नहीं देते तो मैं हमेशा व्हील चेयर पर ही रहता।

उन्होंने दिलचस्प क़िस्सा भी सुनाया कि मेरी पत्नी नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी के जीवन में आने के बाद उनके नाम के अनुरूप मुझे यश,राज और लक्ष्मी तीनों सुख मिलें लेकिन हमेशा की तरह एक बार उनकी सलाह नहीं मान कर मैंने अपना चुनाव क्षेत्र बदला था जिसके कारण मैं चुनाव हार गया और मन में इतनी निराशा आ गई कि मैने राजनीति छोड़ने का मन तक बना लिया लेकिन इन्दिराजी ने मुझे राज्यसभा भेजा। इस प्रकार संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में मुझे बीस बीस वर्षों जनता की सेवा का अवसर मिला।

भारतीय लोकतन्त्र की यह खूबी है कि श्रोताओं को जनतन्त्र के दो सितारों को एक साथ एक मंच पर अपने उद्गारों को इस तरह सुनने के सुनहरे पल का साक्षी बनने का अवसर मिला। देश की भावी पीढ़िया ऐसे प्रेरणास्पद पलों को आत्मसात् कर देश के जनतंत्र को और सुदृढ़ बनायेंगी ऐसी उम्मीद रखनी चाहिए।

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पत्रकारों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग पर एफआईआर दर्ज करना अनुचित: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना मात्र के आधार पर पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।

Last Modified:
Monday, 07 October, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना मात्र के आधार पर पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान किया जाना चाहिए और संविधान के अनुच्छेद-19(1)(ए) के तहत पत्रकारों के अधिकार सुरक्षित हैं। 

यह टिप्पणी जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की याचिका पर की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। यह एफआईआर उनकी रिपोर्ट "यादव राज बनाम ठाकुर राज" को लेकर दर्ज की गई थी, जिसमें राज्य के सामान्य प्रशासन में जातिगत झुकाव की बात कही गई थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। पीठ ने कहा कि एफआईआर में कोई ठोस अपराध नहीं दिखता, बावजूद इसके याचिकाकर्ता को निशाना बनाया गया। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी। 

पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ एफआईआर राज्य के कानून प्रवर्तन तंत्र का दुरुपयोग है, जिसका उद्देश्य उनकी आवाज को दबाना है।

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‘जी मीडिया’ ने मोना जैन और पूजा दुग्गल को दी विदाई, यहां देखें फेयरवेल की झलकियां

मोना जैन यहां चीफ रेवेन्यू ऑफिसर और पूजा दुग्गल एचआर हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं, जहां से उन्होंने कुछ समय पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Saturday, 05 October, 2024
Last Modified:
Saturday, 05 October, 2024
MJPD

‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) ने चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद से मोना जैन और एचआर हेड के पद से पूजा दुग्गल के इस्तीफे के बाद उनके लिए 30 सितंबर को विदाई समारोह का आयोजन किया। इस फेयरवेल पार्टी में सहकर्मियों ने उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट किया और दोनों ने मिलकर केक काटा।  

बता दें कि मोना जैन और पूजा दुग्गल ने कुछ समय पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। दोनों इस्तीफे उस समय हुए, जब संगठन के भीतर महत्वपूर्ण उथल-पुथल चल रही थी।

गौरतलब है कि ‘जी’ में अपने कार्यकाल के दौरान, मोना जैन ने नेटवर्क के रेवेन्यू मैंडेट की जिम्मेदारी संभाली, जिसमें लीनियर व डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म शामिल थे। उन्होंने ब्रैंडेड कंटेंट के जरिए विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने की रणनीतियों पर भी काम किया।

‘जी मीडिया’ से पहले, मोना जैन ‘एबीपी नेटवर्क’ की चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के तौर पर कार्यरत थीं। नवंबर 2019 में ‘एबीपी नेटवर्क’ में शामिल होने से पहले, जैन ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (ऐड सेल्स) के पद पर साल 2014 से कार्यरत थीं। यहां अपने करीब पांच साल नौ महीने के कार्यकाल में नेटवर्क की दिल्ली ब्रांच की कमान उन्हीं के हाथों में थी। इसके अलावा वह ‘Zee Café’, ‘Zee Studio’, ‘Anmol, Zindagi’, ‘Salaam’ और ‘Jagran’ की नेशनल क्लस्टर हेड भी रह चुकी हैं1। 

मोना जैन को मीडिया इंडस्ट्री में तीन दशक से ज्यादा का अनुभव है। ‘ZEEL’ में अपनी जिम्मेदारी निभाने से पहले वह ‘Vivaki Exchange’ की सीईओ और ‘Cheil Communications’ में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर भी रह चुकी हैं।

वहीं, पूजा दुग्गल की बात करें तो उन्होंने पिछले साल मई में इस मीडिया नेटवर्क में जॉइन किया था। पूजा दुग्गल को इंडस्ट्री में काम करने का 17 साल से ज्यादा का अनुभव है। ‘जी मीडिया’ से पहले वह ‘एचटी डिजिटल स्ट्रीम्स’ (HT Digital Streams) में एचआर हेड (डिजिटल बिजनेस) के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं।

‘एचटी मीडिया’ से पहले वह ‘रेचैम आरपीजी प्रा. लि.’ (Raychem RPG Pvt Ltd) में करीब पांच साल तक एचआर हेड रह चुकी हैं। पूर्व में वह ‘जिंदल स्टील’ (Jindal Steel) में सीनियर मैनेजर (ग्लोबल, एचआर) के पद पर काम करने के अलावा SISTEMA Shyam Teleservices और Right Management में भी अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।

पूजा दुग्गल ने दिल्ली में ‘गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी’ से इंफॉर्मेशन सिस्टम्स में ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा उन्होंने मुंबई के NMIMS (Narsee Monjee Institute of Management Studies) से एमबीए (Human Resources and Finance) किया है।

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‘भारत एक्सप्रेस’ के CMD उपेंद्र राय 'राष्ट्र चेतना अवॉर्ड' से सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के माउंट आबू में ब्रह्माकुमारीज संस्था की ओर से आयोजित चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Saturday, 05 October, 2024
Last Modified:
Saturday, 05 October, 2024
Upendra Rai

राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू में शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्माकुमारीज संस्था की ओर से आयोजित चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। यहां ‘भारत एक्सप्रेस' (Bharat Express) न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय राय को ‘राष्ट्र चेतना अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपेंद्र राय ने कहा, ‘हमारे देश में अध्यात्म और धर्म को मिलाकर देखने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन मैंने जब से इस विषय को थोड़ा बहुत समझा और जाना, तो पाया कि आध्यात्मिकता और धर्म बिल्कुल अलग-अलग हैं, इसलिए थोड़ी बात धर्म पर और थोड़ी बात अध्यात्मिकता पर होनी चाहिए। धर्म जिन लोगों ने पाया, पैदा किया शायद उनके जीवन में कभी क्रांति का सूत्रपात हुआ होगा, तब कोई धर्म पैदा हुआ होगा, लेकिन हम जिस धर्म को मानते हैं, वह हमारा बपौती है, क्योंकि वह हमें मिला हुआ है।’

उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में न कभी कोई क्रांति हुई नहीं और न कोई परिवर्तन आया. इसलिए जब मैं सोचता हूं इस पड़ाव पर आकर तो मुझे लगता है कि अपने बच्चों को किसी धर्म की शिक्षा नहीं देनी चाहिए, बल्कि उसे वो सारी सुविधाएं मुहैया कराना चाहिए, जिससे वो सारे धर्मों को पढ़े। उसे मैं किसी भी धर्म का न बनाऊं, बल्कि ये आजादी दूं कि तुम जिस धर्म को चाहो वो पढ़ो और जिस दिन तु्म्हें मौज आ जाए, तुम्हारी आत्मा झूम उठे, उस दिन तुम उसी धर्म को अपना लेना, क्योंकि धर्म अनेक हैं और सभी धर्मों ने परमात्मा तक पहुंचने के रास्ते बताए हैं, लेकिन सभी रास्ते सही नहीं हैं, कोई एक रास्ता पकड़कर ही अंतिम तक पहुंचा जा सकता है। अगर मैं इसे दूसरे शब्दों में कहूं, तो साध्य और साधन महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि वो रास्ता महत्वपूर्ण है, जो एक दिन मंजिल में तब्दील हो जाता है।

उनका कहना था, ’जैसे कोई चित्रकार है, कोई कवि है या फिर कोई गणितज्ञ है  और कवि को हम अगर गणित का धर्म दे दें तो शायद उसे उस रास्ते पर चला नहीं जाएगा। कवि का मन बड़ा निर्मल होता है, वो गणित के सवालों को, पहेलियों को शायद सुलझाते-सुलझाते फेल हो जाए, ठीक ऐसा ही हम सबके जीवन में भी होता है। हम अपने दिमाग में इतना ज्यादा कूड़ा-करकट भर लेते हैं कि मूल्यवान चीजों को रखने की जगह ही नहीं बचती है। अध्यात्म हमें सिखाता है कि जीवन में मूल्यवान चीजों के लिए कम मूल्यवान चीजों को जितनी तन्मयता से छोड़ता चला जाता है, वही जीवन में सही अर्थों में अध्यात्मिक संतुलन को प्राप्त करता है, लेकिन अक्सर हम देखते हैं कि जो हमने रहीम के दोहे में पढ़ा है कि ‘साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय’. रहीम कहते हैं कि साधु और सज्जन का स्वभाव सूप की तरह होना चाहिए. जो व्यर्थ को हटा दे और मूल्यवान चीजों को बचा ले, आध्यात्म भी हमें यही सिखाता है।’

इस मौके पर उपेंद्र राय ने कहा, ’अगर हम रास्ते पर पड़ा कंकड़-पत्थर या फिर कांटा किसी दूसरे के लिए उठाकर फेंक दें या फिर किसी के आंगन में जाकर वहां पर झाड़ू लगा दें, यही अध्यात्म है। इसके अलावा जो भी है वो सिर्फ कर्मकांड है, जिससे जीवन में सिर्फ कूड़ा-कचरा के अलावा कुछ भी इकट्ठा नहीं होता है। अध्यात्म हमारे रोज के जीवन का हिस्सा है, लेकिन संतत्व उसकी मंजिल है।’

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पूर्व पत्रकार और कांग्रेसी नेता सुप्रिया श्रीनेत ने पिता को किया याद, लिखी यह भावुक पोस्ट

पूर्व पत्रकार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य सुप्रिया श्रीनेत ने दिवंगत पिता हर्षवर्धन श्रीनेत को याद करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की है।

Last Modified:
Friday, 04 October, 2024
Supriya

पूर्व पत्रकार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता और कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की सदस्य सुप्रिया श्रीनेत ने अपने दिवंगत पिता हर्षवर्धन श्रीनेत को याद करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की है।

अपनी पोस्ट में सुप्रियया श्रीनेत ने लिखा है, ‘आठ साल पहले आज ही के दिन आप एक अनंत यात्रा पर निकल गये। लेकिन आप वास्तव में कभी कहीं गए ही नहीं। आपका वजूद मेरे हर ओर मौजूद है। मेरे निर्णयों में, मेरे साहस में, मेरी मुस्कान में और सबसे बढ़कर मेरी लड़ने की ताक़त में। आपकी याद आती है पापा। आप हमेशा वह शख़्स रहेंगे, जिसके जैसा मैं बनना चाहती हूं।’

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‘Femina’ की पूर्व एडिटर विमला पाटिल का निधन

विमला पाटिल ने वर्ष 1959 में इस मैगजीन की लॉन्चिंग के समय बतौर एडिटर यहां जॉइन किया था और वर्ष 1993 तक कार्यरत रही थीं।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 01 October, 2024
Last Modified:
Tuesday, 01 October, 2024
Vimla

जानी मानी मैगजीन ‘फेमिना’ (Femina) की पूर्व एडिटर विमला पाटिल का निधन हो गया है। वह करीब 91 साल की थीं। विमला पाटिल ने वर्ष 1959 में इस मैगजीन की लॉन्चिंग के समय बतौर एडिटर यहां जॉइन किया था और वर्ष 1993 तक कार्यरत रही थीं।

फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता शुरू करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसके जरिये भारतीय मॉडल्स को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भेजा गया। किताब लिखने के अलावा उन्होंने महिलाओं से जुड़े व सामाजिक मुद्दों पर भी काफी लिखा।

विमला पाटिल के निधन पर मीडिया जगत से जुड़े तमाम लोगों और उनके शुभचिंतकों ने दुख जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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पत्रकार निष्पक्ष खबर से समाज में अपनी विश्वसनीयता को मजबूत करें: कैलाश विजयवर्गीय

राज्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय रविवार को भोपाल में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक को संबोधित कर रहे थे।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 30 September, 2024
Last Modified:
Monday, 30 September, 2024
KailashVijayvargiya8745

मध्य प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि आज के दौर में पत्रकारिता के क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहा है। इस दौर में कई कारणों से पत्रकारों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि बदलते दौर में भी पत्रकार अपनी ‍निष्पक्ष खबरों से जनता में अपनी विश्वसनीयता और मजबूत कर सकते हैं।

मंत्री विजयवर्गीय रविवार को भोपाल में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर संगोष्ठी के माध्यम से "मीडिया के बदलते परिदृश्य और चुनौतियों" के संबंध में विचार विमर्श किया गया। कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राधा सिंह व विधायक सिंगरौली रामनिवास शाह भी मौजूद थे।

मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि लोकतंत्र के जरिये समाज में सभी को समान अधिकार मिले हैं। इस वजह से पत्रकारों के अधिकारों की भी सीमा है। उन्होंने कहा कि प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ सोशल मीडिया का भी विस्तार हुआ है। इस विस्तार में खबरों की जिम्मेदारी को लेकर समाज में खतरे भी बढ़े हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि पत्रकार स्वयं अपने मानक तैयार कर समाज में आदर्श प्रस्तुत करें।

राज्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि देश की आजादी के बाद नवगठित सरकारों ने देश में तुष्टिकरण को बढ़ाया है। इससे समाज में असमानता का माहौल निर्मित हुआ। वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देशहित में धारा 370 को समाप्त कर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया। उन्होंने कहा कि संविधान के माध्यम से देश के प्रत्येक राज्य के नागरिकों को एक समान अधिकार दिये गये हैं।

विजयवर्गीय ने आगे कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। इस वजह से दुनिया में भारत की साख मजबूत हुई है और भारत की आवाज को दुनिया पूरी गंभीरता से सुनती है।

राज्य मंत्री राधा सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय पत्रकारिता का अपना अलग महत्व है। क्षेत्रीय खबरों से ही राष्ट्रीय स्तर की खबरें बनती है। उन्होंने क्षेत्रीय पत्रकारों के लगातार प्रशिक्षण पर भी जोर दिया। कार्यक्रम को एनयूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासबिहारी, राष्ट्रीय महासचिव प्रदीप तिवारी, एब्सोल्यूट ग्राम्य के डॉ. पंकज शुक्ला, जोनल कोऑर्डिनेटर एवं मीडिया इंचार्ज डॉ. बी.के. रीना, एसओआर सुप्रीम कोर्ट अश्वनी दुबे ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी में देशभर के 13 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस अवसर पर आर्टिकल 32 पर लिखित अश्विनी दुबे की पुस्तक का विमोचन भी किया।

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उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने ‘जी न्यूज’ के प्रति जताई नाराजगी, लिया ये फैसला

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के चेयरमैन और पूर्व मंत्री डॉ.सीपी राय ने इस बाबत ‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा को एक लेटर लिखा है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 26 September, 2024
Last Modified:
Thursday, 26 September, 2024
Congress Zee

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ (Zee News) के बारे में अपने प्रवक्ताओं की शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की है। इसके साथ ही अगले आदेश तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के किसी भी प्रवक्ता को इस चैनल पर होने वाली डिबेट्स में शामिल होने और किसी भी मुद्दे पर बाइट (बयान) देने से रोक दिया है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के चेयरमैन और पूर्व मंत्री डॉ.सीपी राय ने इस बाबत ‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा को एक लेटर लिखा है। इस लेटर की एक कॉपी ‘जी न्यूज’ के यूपी हेड रमेश चंद्रा को भी भेजी गई है।

इस लेटर में डॉ. सीपी राय का कहना है, ’उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ताओं द्वारा लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि आपके चैनल पर आयोजित की जाने वाली डिबेट्स में कांग्रेस पार्टी का पक्ष रखने के लिए प्रवक्तागण जाते हैं। मगर अफसोस है कि उन्हें अपनी बात कहने नहीं दिया जाता और उनका माइक भी बंद कर दिया जाता है।

यहां तक शिकायत आई है कि कांग्रेस प्रवक्ताओं को पूरे टाइम सिर्फ बैठाए रखा गया और बोलने तक का मौका नहीं दिया गया। ऐसे में मैं यह निर्णय लेने के लिए विवश हूं कि मेरे अग्रिम आदेश तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी का कोई भी अधिकृत प्रवक्ता आपके चैनल पर होने वाली डिबेट्स में न तो शामिल होगा और न ही किसी मुद्दे पर बाइट देगा।’

डॉ. सीपी राय ने इस लेटर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर भी शेयर किया है।

 

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पत्रकार विजय रावत बने ‘कटोरी फूड’ के सीईओओ, महिला सशक्तिकरण की मुहिम को देंगे नई दिशा

करीब डेढ़ साल पहले मेनस्ट्रीम मीडिया को अलविदा कहकर सोशल सेक्टर में शिफ्ट हो चुके हैं विजय रावत

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 24 September, 2024
Last Modified:
Tuesday, 24 September, 2024
Vijay Rawat

मेनस्ट्रीम मीडिया छोड़कर सोशल सेक्टर में शिफ्ट हुए पत्रकार विजय रावत को ‘कटोरी फूड एंड बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड’ में सीईओओ यानी चीफ एग्जिक्यूटिव ऑपरेटिंग ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया है। कटोरी फूड एक एफएमसीजी ब्रैंड है, जो ग्रामीण महिलाओं के बनाए हुए प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग करता है।

बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले ‘जी न्यूज’ में मल्टीमीडिया हेड का पद छोड़कर विजय ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्यरत मंजरी फाउंडेशन में कम्युनिकेशन हेड के तौर पर जॉइन किया था।राजस्थान, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में सक्रिय मंजरी फाउंडेशन के फाउंडर और ईडी संजय कुमार फोर्ड फाउंडेशन के फेलो रहे हैं। मंजरी फाउंडेशन के तहत महिलाओं को माइक्रोइंटरप्राइजेज लगाने में मदद की जाती है फिर उन ग्रामीण महिलाओं के बनाए प्रॉडक्ट्स को मार्केट में कटोरी ब्रैंड के नाम से बेचा जाता हैं, ताकि ग्रामीण महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हो सके।

समाचार4मीडिया से बातचीत में विजय ने बताया कि अब वह मंजरी फाउंडेशन में कम्युनिकेशन हेड के साथ-साथ कटोरी फूड के सीईओओ का कामकाज संभालेंगे। विजय इससे ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ में सीनियर एसोसिएट एडिटर के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन पॉलिसी मेकिंग रिसर्च पर कार्य करती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात और एग्जाम वॉरियर्स की किताब की टेक्निकल पार्टनर भी है।

इसके अलावा विजय ’जनसंदेश’ और ’इंडिया न्यूज’ हरियाणा में आउटपुट हेड की भूमिका निभा चुके हैं। इसके साथ ही वह ’इंडिया टीवी’ और ’टीवी9 ’ के बॉलीवुड चैनल लहरें में भी आउटपुट हेड की भूमिका निभा चुके हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएट विजय ने ‘माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी’, भोपाल से ब्रॉकास्ट जर्नलिज्म में मास्टर्स की डिग्री ली है।

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