‘आर्टिफिशियल इंटेलेजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’ विषय पर समाचार4मीडिया की ओर से आयोजित ‘मीडिया संवाद’ को संबोधित कर रहे थे ‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा
'एक्सचेंज4मीडिया' समूह की हिंदी वेबसाइट ‘समाचार4मीडिया’ (Samachar4media.com) की ओर से 12 अगस्त 2024 को दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40अंडर40 अवॉर्ड कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह इस कार्यक्रम का तीसरा एडिशन था। प्रतिष्ठित जूरी द्वारा चुने गए 40 साल से कम उम्र के 40 प्रतिभाशाली पत्रकारों को इस कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक थे।
इससे पहले सुबह से ‘मीडिया संवाद’ कार्यक्रम के तहत विभिन्न परिचर्चाओं का आयोजन किया गया, जिसमें मीडिया जगत के दिग्गजों ने अपने बहुमूल्य विचार रखे। इस दौरान ‘आर्टिफिशियल इंटेलेजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’ पर आयोजित परिचर्चा में हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ (Zee News) के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा का कहना था, ’ समय के साथ आज के दौर में पत्रकारिता के मायने बदल चुके हैं। पुराने समय में जिस तरीके की पत्रकारिता हुआ करती थी और आज जो देखने को मिलती है, वह काफी अलग है। बहुत कुछ बदलाव आ चुका है पर फिर भी बहुत सारे लोग हैं जो अभी भी उसी विचार के साथ आगे बढ़ रहे हैं।’ पिछले चुनावों का उदाहरण देते हुए राहुल सिन्हा का कहना था, ‘आज के वक्त में जब हमारी निष्पक्षता पर बार-बार सवाल उठते हैं, ऐसे समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
इसके साथ ही राहुल सिन्हा का यह भी कहना था, ‘भारत विभिन्न भाषाओं वाला देश है। हम जब न्यूज चैनल खोलते हैं या तो रीजनल चैनल पर जाते हैं या फिर नेशनल चैनल में होते हैं, जो अंग्रेजी होता है या हिंदी होता है लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक और बड़ा इस वक्त प्रयोग चल रहा है कि एक ही जगह पर बैठकर एक व्यक्ति हिंदी में बात करेगा और उसका एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 18-20 भाषाओं में ट्रांसलेशन उसी आवाज में कर देगा यानी मैंने वह बात हिंदी में कही और मेरी आवाज में वही बात तमिल में भी जाएगी तेलुगु में भी जाएगी यानी सभी भाषाओं में जाएगी, यह एक बड़ा महत्त्वपूर्ण पहलू है। मुझे लगता है कि इससे इससे बहुत सारे जर्नलिस्टों को यह फायदा होगा कि अगर हम हिंदी बेल्ट के जर्नलिस्ट हैं और लगता है कि नॉर्थ रीजन में हमें सुना जाता है साउथ में कोई नहीं सुनता लेकिन अब उसी आवाज को उसी चेहरे को साउथ में भी सुना जा सकता है।
एक और बड़ा फायदा जो इस वक्त आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है, वह न्यूज जुटाने को लेकर है। न्यूज गैदरिंग यानी न्यूज जुटाने में खासतौर से यह बात मैं डिजिटल के लिए कह रहा हूं कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने बहुत हद तक कुछ चीजें बहुत आसान कर दी है जैसे पहले जो न्यूज गैदरिंग होती थी उस हिसाब से अगर देखें तो एआई इस बात को समझता है। जर्नलिज्म के साथ हम डिमांड और सप्लाई वाले एक प्रोफेशन में भी काम कर रहे हैं, तो हमें यह पता होना चाहिए कि हम जो दे रहे हैं वो लोग कितना देखना चाहते हैं और कितना नहीं देखना चाहते। कौन से लोग किस चीज को देखना चाहते हैं। किस रीजन के लोगों को इस वक्त क्या चाहिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस पर बहुत जबरदस्त काम कर रहा है। वह बताएगा कि इस वक्त अगर उत्तर प्रदेश के लोग हैं तो उनकी सोच क्या चल रही है और उन्हें उस सोच के हिसाब से वह खबर को प्रायोरिटी पर ले जाएगा। अगर 15 से 18 साल के लोगों की उम्र के लोग जो इस वक्त वेबसाइट को चेक कर रहे हैं वह किस तरीके की खबरों को चेक कर रहे हैं वो उसी तरीके की खबरों को प्राथमिकता के साथ ऊपर ले जाएगा। हर रीजन हर उम्र के हिसाब से उस खबर को वो पोस्ट करेगा और उसका फायदा पब्लिशर को मिलेगा या कह सकते हैं उस ऑर्गेनाइजेशन को मिलेगा और उन लोगों को भी मिलेगा जो उसके रीडर हैं क्योंकि आप अमूमन किसी जगह जाएंगे किसी वेबसाइट पर जाएंगे और आप अपने मतलब की कोई खबर खोजना चाहते हैं तो सर्च के हिसाब से जाएंगे लेकिन एआई इतना स्ट्रांग है कि उसे पता है कि आपको क्या चाहिए आपके सामने वो लाकर के रख देगा।
राहुल सिन्हा के अनुसार, ‘ये दो-तीन चीजें हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बहुत क्रांतिकारी हैं और मुझे लगता है कि भारत में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है आने वाले वक्त में आपको यह सारी चीजें देखने को भी मिलेंगी कि कोई बहुत बड़ा हिंदी का एंकर आपको तमिल में न्यूज़ पढ़ता हुआ अचानक चेन्नई में दिखाई दे जाए। खास बात यह है कि उस आवाज में जरा भी एरर नहीं होता है यानी जिस तरीके से मैं बोल रहा हूं, जहां मैं पॉज दे रहा हूं बिल्कुल उसी तरीके से एआई उसको ट्रांसलेट करता है और दिखा देता है लेकिन इसके कुछ निगेटिव पहलू भी हैं। जर्नलिज्म में जो मानवीय संवेदना है वह सबसे महत्वपूर्ण है। एआई के अंदर मानवीय संवेदना नहीं होती है उसको नहीं पता कि सामने वाले बैठे व्यक्ति के अंदर क्या चल रहा है, वह क्या सोच रहा है, वह क्या कहना चाहता है। वह एक व्यक्ति सामने पहुंच करके उससे सवाल करके ही समझ सकता है तो खबर में मानवीय संवेदना बहुत जरूरी है।
एआई यह तो ढूंढ लेगा कि यह खबर है लेकिन उस व्यक्ति के साथ में उसकी संवेदनाओं के साथ में उस खबर को दिखा नहीं पाएगा, बता नहीं पाएगा तो यह बहुत इंपॉर्टेंट पहलू है। एआई भले ही इस मामले में तेज हो जाए लेकिन यहां थोड़ी सी मुश्किल आएगी। हम अमूमन ग्राउंड पर जाते हैं और खबरें कवर करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि जिस खबर को देखकर, समझकर हम गए थे और जब हमने सामने बैठकर लोगों से बात की तो वह खबर बिल्कुल अलग दिखाई देती है। लेकिन एआई के साथ जो एक्सपेरिमेंट हम लोग देख रहे हैं, उसमें वह बिल्कुल वैसी खबर उठा रहा है। ऐसे में अर्थ का अनर्थ भी हो रहा है।’
राहुल सिन्हा के अनुसार, ‘ग्राउंड रिपोर्टिंग की बात करें तो एआई मेरे हिसाब से आज के समय में विनाशकारी है। क्योंकि एक जर्नलिस्ट जिस तरीके से ग्राउंड पर जाकर तथ्यों के साथ रिपोर्टिंग कर सकता है, संवेदनाओं के साथ रिपोर्टिंग कर सकता है, वह एआई नहीं कर सकता। यानी एआई के साथ अपनी लिमिटेशंस भी हैं। एआई एंकर्स तो स्टूडियो में आ गए हैं लेकिन एआई रिपोर्टर्स का आना मुश्किल है। दूसरा एक बड़ा चैलेंज फेक वीडियोज को लेकर है। खास तौर से पिछले कुछ वक्त में ज्यादा बढ़ा है। जो बात मैंने कही कि एक एंकर की आवाज हूबहू उसका वही उसी तरीके का प्रेजेंटेशन एआई कर सकता है, अब इसमें एक बड़ा चैलेंज यह भी है कि कोई आदमी किसी बारे में न्यूट्रल होकर जानकारी दे रहा है लेकिन उसके लिप्सिंग मैच करा करके उसके ऑडियो उसी तरीके का बिल्कुल सेम प्रेजेंटेशन देकर के उसके मुंह से कुछ और बात भी कही जा सकती है, यह एक बड़ा चैलेंज बना हुआ है।
पिछले कुछ वक्त में भारतीय मीडिया में तो खैर अभी यह देखने को नहीं मिला लेकिन राजनीति में बहुत बार इसका प्रयोग करता हुआ दिखाई दिया। इस बार के इलेक्शंस में भी कुछ इस तरीके के वीडियो सामने आए जो नेता कह कुछ रहे थे और उनको कुछ और कहते हुए दिखाया गया तो पत्रकार के नाते आप लोगों के लिए यह भी एक बहुत बड़ा चैलेंज है। मैं आज जो दोनों बातें आपके सामने रख रहा कि वि आज के वक्त में एआई महत्पूर्ण तो है, लेकिन इसके साथ तमाम चुनौतियां भी हैं और पत्रकार होने के नाते आपको उन चुनौतियों को समझते हुए इसका इस्तेमाल करना होगा।’
बता दें कि इस कार्यक्रम के तहत पहले और दूसरे एडिशन की तरह हमें प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल से जुड़े युवा पत्रकारों की ओर से तमाम एंट्रीज प्राप्त हुई थीं। विभिन्न मापदंडों के आधार पर इनमें से करीब 94 पत्रकारों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इसके बाद 27 जुलाई 2024 को हुई वर्चुअल ‘जूरी मीट’ में हमारे प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने तमाम स्तरों पर मूल्यांकन के बाद समाचार4मीडिया ‘पत्रकारिता 40 अंडर 40’ सूची के लिए इनमें से 40 पत्रकारों का चयन किया था, जिनके नामों की घोषणा 12 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में की गई।
पिछले दोनों एडिशन की तरह इस बार भी जूरी की अध्यक्षता ‘हिन्दुस्तान’ के एडिटर-इन-चीफ शशि शेखर ने की थी। इसके साथ ही जूरी में बतौर सदस्य ‘बिजनेसवर्ल्ड ग्रुप’ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा, 'न्यूज24' की एडिटर-इन-चीफ और 'बीएजी फिल्म्स एंड मीडिया' की चेयरपर्सन अनुराधा प्रसाद, सीनियर न्यूज एंकर और ‘आजतक’ में कंसल्टिंग एडिटर सुधीर चौधरी, ‘एबीपी नेटवर्क’ में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) रजनीश आहूजा, ‘एनडीटीवी इंडिया’ में कंसल्टिंग एडिटर सुमित अवस्थी, ‘एबीपी न्यूज’ के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज और प्रॉडक्शन) संत प्रसाद राय, भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.जी सुरेश, इंडिया डेली लाइव के एडिटर-इन-चीफ राहुल महाजन, वरिष्ठ पत्रकार वाशिंद्र मिश्र, अमर उजाला के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री, अमर उजाला (डिजिटल) के संपादक जयदीप कर्णिक, वरिष्ठ पत्रकार शमशेर सिंह और शिक्षाविद, स्तंभकार व इतिहासकार डॉ. सैयद मुबीन ज़ेहरा शामिल रहे।
पिछले दोनों बार की तरह इस बार भी इस लिस्ट में मीडिया जगत से जुड़े 40 साल से कम उम्र वाले ऐसे पत्रकारों को शामिल किया गया, जिन्होंने अपने काम के जरिये इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई है और शिखर पर पहुंचे हैं। इसमें प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारों को शामिल किया गया।
‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा का पूरा वक्तव्य आप नीचे देख-सुन सकते हैं:
वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।
वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से जुड़े एक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है। अहमदाबाद की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने बुधवार को उन्हें 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। महेश लांगा को 13 कंपनियों और उनके मालिकों के खिलाफ दायर एक कथित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है।
इस मामले में लांगा के अलावा तीन अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिनकी पहचान अयाज इकबाल हबीब मालदार (30), अब्दुलकादर समद कादरी (33) और ज्योतिष मगन गोंडालिया (42) के रूप में हुई है। अहमदाबाद अपराध शाखा (डीसीबी) को इन चारों की 10 दिन की पुलिस कस्टडी मिली है। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अजीत राजियन ने बताया कि उन्होंने 14 दिनों की रिमांड मांगी थी, लेकिन अदालत ने 10 दिन की अनुमति दी।
अधिकारियों के अनुसार, यह धोखाधड़ी सरकार के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने वाली बताई जा रही है, जिसमें आरोपी फर्जी बिलों के जरिए आईटीसी का गलत तरीके से लाभ उठा रहे थे। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि इस घोटाले में 220 से अधिक बेनामी कंपनियां शामिल हैं, जिनका संचालन जाली दस्तावेजों के आधार पर किया गया था।
क्राइम ब्रांच ने लांगा के घर पर छापा मारकर 20 लाख रुपये नकद, कुछ सोने के गहने और जमीनों के दस्तावेज भी जब्त किए हैं। यह कार्रवाई केंद्रीय जीएसटी विभाग की शिकायत के बाद अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत, खेड़ा और भावनगर में छापेमारी के बाद की गई।
केंद्रीय जीएसटी विभाग के अधिकारियों का आरोप है कि महेश लांगा की पत्नी और पिता के नाम पर जाली दस्तावेज बनाए गए, जिनका उपयोग उन फर्जी कंपनियों में संदिग्ध लेन-देन के लिए किया गया था। मामले की जांच अभी जारी है।
लगभग उसी समय डॉ. सिंह ने अपने निजी जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया, उन्होंने नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी से विवाह किया। वे दोनों शालीनता और गरिमा के उदाहरण थे।
ऐसे मौक़े बहुत कम आते है जब देश की महान हस्तियाँ निष्पक्ष भाव से भाव विभोर होकर अपनी अभिव्यक्तियों को सार्वजनिक करती हैं। ऐसा ही सुअवसर नई दिल्ली में एक समारोह में देखने को मिला। अवसर था 93 वर्षीय पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह के सार्वजनिक जीवन में 75 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली के इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित अमृत वर्ष अभिनंदन समारोह का जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का उपस्थित रहना और मंच पर कई बार एक दूसरे के साथ हँसी मजाक तथा परस्पर आदर सम्मान की भावनाओं की अभिव्यक्ति करना सभी उपस्थित लोगों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ गया।
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने अपने सम्बोधन में कहा मैं सचमुच बहुत अभिभूत हूँ, यह मेरे लिए एक ऐसा क्षण है जिसे मैं सदैव याद रखूँगा, इस स्थान पर, इस पद पर, इस अवसर पर मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वे डॉ. सिंह पर अपनी असीम कृपा बनाए रखें ताकि वे हमारे बीच बने रहें और अपने उत्कृष्ट गुणों, प्रेरक व्यवहार और विद्वत्तापूर्ण व्यक्तित्व के माध्यम से राष्ट्र और मानवता की सेवा करते रहें। मुझे सांसद, केंद्रीय मंत्री, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति रहते हुए उनके अनुभव से लाभ उठाने का सौभाग्य मिला हैं।
धनखड़ ने कहा कि हाल ही में, मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे उनके साथ कई अवसरों पर बातचीत करने का मौका मिला और मैं उनके गहन ज्ञान और अमूल्य मार्गदर्शन से प्रेरणा लेता रहा। पिछली बार मुझे डॉ. कर्ण सिंह के बारे में बोलने का सौभाग्य उनके 90वें जन्मदिन के अवसर पर मिला था। सार्वजनिक सेवा में उनकी यात्रा उसी दिन शुरू हुई जिस दिन उनका जन्म हुआ था। डॉ. सिंह की सादगी, विनम्रता और गर्मजोशी भरे व्यवहार की व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों ने लगातार समाज और राष्ट्र दोनों को लाभान्वित करते हुए इनकी व्यापक भलाई की है।
शायद आज के कार्यक्रम के आयोजकों के मन में 1949 का वह महत्वपूर्ण दिन था, जब उन्होंने डॉ. सिंह की 75 साल की सार्वजनिक सेवा का सम्मान करने का फैसला किया। लगभग उसी समय डॉ. सिंह ने अपने निजी जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया, जब उन्होंने नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी से विवाह किया। साथ में, वे दोनों शालीनता और गरिमा के उदाहरण थे, जो उन सभी के भी प्रिय थे, जिन्हें उन्हें जानने का सौभाग्य मिला। मेरे कई डोगरा मित्र डॉ. सिंह के व्यक्तिगत गुणों की प्रशंसा करते हैं तथा उनके ज्ञान और गर्मजोशी की प्रशंसा करते हैं, जबकि यशोराज्य लक्ष्मीजी को गहरे स्नेह, प्रेम और सम्मान के साथ याद करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. सिंह के योगदान को सिर्फ़ 75 वर्षों तक सीमित करना उनकी शानदार विरासत की व्यापकता को बयां नहीं कर सकता। फ्रांस में जन्मे, वे लाक्षणिक रूप से अग्नि में तप कर इतिहास के साक्षी बने और इतिहास में ऐसे भागीदार बने जिसका दावा बहुत कम लोग कर सकते हैं। डॉ. कर्ण सिंह उन कुछ लोगों में से हैं जिन्हें 75 वर्षों से अधिक समय तक बाहरी दृष्टि और बाहरी राजनीति के साथ अंदरूनी ध्यान के साथ राजनीति के अंदरूनी सूत्र होने का लाभ मिला। इस अर्थ में वे गणतंत्र से भी पुराने हैं।
धनखड़ ने कहा कि डॉ. कर्ण सिंह का योगदान विशाल और स्थायी है। जब भारत के पूर्व राजा महाराजाओं, राजकुमारों और देश की एकता को मजबूत करने में उनकी भूमिका का इतिहास लिखा जाएगा, तो निस्संदेह डॉ. सिंह को बहुत सम्मान दिया जाएगा। 1967 में शाही सुख-सुविधाओं से,विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक राज्य प्रमुख के रूप में, चुनावी राजनीति में नाटकीय परिवर्तन करने का उनका निर्णय एक साहसिक और दूरदर्शी कदम था।
ऐसा करके उन्होंने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, 13 मार्च 1967 को 36 वर्ष की आयु में वे केंद्रीय मंत्रिमंडल के सबसे कम उम्र के सदस्य बन गए। यह न केवल उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, बल्कि देश के युवाओं के आगमन का भी संकेत था, जो जिम्मेदारी उठाने और राष्ट्र के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार थे। डॉ. सिंह लंबे समय से अंतर-धार्मिक सद्भाव के हिमायती रहे हैं, उन्होंने कई सार्वजनिक बैठकों और सम्मेलनों में इसके लिए वकालत की है, जिनमें से कई का अच्छी तरह से दस्तावेजीकरण किया गया है।
पिछले कुछ वर्षों में, वे आध्यात्मिकता और दर्शन के क्षेत्र में इतने प्रमुख व्यक्ति बन गए हैं कि जब भी महान विचारकों का उल्लेख किया जाता है, तो उनका नाम स्वाभाविक रूप से सामने आता है। विवेकानंद की बात करें तो डॉ. सिंह का नाम दिमाग में आता है। अरबिंदो का जिक्र करें तो डॉ. सिंह उनके सबसे विद्वान शिष्यों में से एक के रूप में सामने आते हैं। उनके ज्ञान और काम का विशाल भंडार, जिसमें दर्जनों किताबें शामिल हैं, उनकी बौद्धिक खोज की गहराई को दर्शाता है। एक सच्चे कवि-दार्शनिक के रूप में उन्होंने दर्शन, आध्यात्मिकता और पर्यावरण जैसे विविध विषयों का अन्वेषण किया है। अपनी मातृभाषा डोगरी के प्रति उनका गहरा प्रेम उनकी लिखी कई किताबों में झलकता है।
धनखड़ ने कहा कि शायद उनकी सबसे कम सराहना की जाने वाली उपलब्धियों में से एक भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर बाघ भारत की वन्यजीव विरासत का प्रतीक बना हुआ है और “प्रोजेक्ट टाइगर” पहल के माध्यम से इसका अस्तित्व सुनिश्चित किया जा रहा है, तो यह काफी हद तक डॉ. सिंह की अटूट प्रतिबद्धता के कारण है। इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उन्हें कभी-कभी उनके विचारों और कार्यों में दृढ़ता और ताकत के लिए प्यार से “बाघ” के रूप में संदर्भित किया जाता है।
इस अवसर पर डॉ. कर्ण सिंह ने अपने सार्वजनिक जीवन के 75 वर्षों की गाथा का सिलसिलेवार ज़िक्र किया और देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू , इन्दिरा गांधी , राजीव गाँधी के अलावा फ़ारूख अब्दुल्ला आदि के साथ ही अपनी धर्म पत्नी, बच्चों,निजी सचिवों और निजी सेवकों तक के नामों का ज़िक्र किया। साथ ही बताया कि यदि सरदार वल्लभ भाई पटेल अमरीका जाकर इलाज कराने की सख्त हिदायत एवं सलाह नहीं देते तो मैं हमेशा व्हील चेयर पर ही रहता।
उन्होंने दिलचस्प क़िस्सा भी सुनाया कि मेरी पत्नी नेपाल की कुलीन राजकुमारी यशोराज्य लक्ष्मी के जीवन में आने के बाद उनके नाम के अनुरूप मुझे यश,राज और लक्ष्मी तीनों सुख मिलें लेकिन हमेशा की तरह एक बार उनकी सलाह नहीं मान कर मैंने अपना चुनाव क्षेत्र बदला था जिसके कारण मैं चुनाव हार गया और मन में इतनी निराशा आ गई कि मैने राजनीति छोड़ने का मन तक बना लिया लेकिन इन्दिराजी ने मुझे राज्यसभा भेजा। इस प्रकार संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में मुझे बीस बीस वर्षों जनता की सेवा का अवसर मिला।
भारतीय लोकतन्त्र की यह खूबी है कि श्रोताओं को जनतन्त्र के दो सितारों को एक साथ एक मंच पर अपने उद्गारों को इस तरह सुनने के सुनहरे पल का साक्षी बनने का अवसर मिला। देश की भावी पीढ़िया ऐसे प्रेरणास्पद पलों को आत्मसात् कर देश के जनतंत्र को और सुदृढ़ बनायेंगी ऐसी उम्मीद रखनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना मात्र के आधार पर पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना मात्र के आधार पर पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान किया जाना चाहिए और संविधान के अनुच्छेद-19(1)(ए) के तहत पत्रकारों के अधिकार सुरक्षित हैं।
यह टिप्पणी जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की याचिका पर की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। यह एफआईआर उनकी रिपोर्ट "यादव राज बनाम ठाकुर राज" को लेकर दर्ज की गई थी, जिसमें राज्य के सामान्य प्रशासन में जातिगत झुकाव की बात कही गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। पीठ ने कहा कि एफआईआर में कोई ठोस अपराध नहीं दिखता, बावजूद इसके याचिकाकर्ता को निशाना बनाया गया। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।
पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ एफआईआर राज्य के कानून प्रवर्तन तंत्र का दुरुपयोग है, जिसका उद्देश्य उनकी आवाज को दबाना है।
मोना जैन यहां चीफ रेवेन्यू ऑफिसर और पूजा दुग्गल एचआर हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं, जहां से उन्होंने कुछ समय पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) ने चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद से मोना जैन और एचआर हेड के पद से पूजा दुग्गल के इस्तीफे के बाद उनके लिए 30 सितंबर को विदाई समारोह का आयोजन किया। इस फेयरवेल पार्टी में सहकर्मियों ने उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट किया और दोनों ने मिलकर केक काटा।
बता दें कि मोना जैन और पूजा दुग्गल ने कुछ समय पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। दोनों इस्तीफे उस समय हुए, जब संगठन के भीतर महत्वपूर्ण उथल-पुथल चल रही थी।
गौरतलब है कि ‘जी’ में अपने कार्यकाल के दौरान, मोना जैन ने नेटवर्क के रेवेन्यू मैंडेट की जिम्मेदारी संभाली, जिसमें लीनियर व डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म शामिल थे। उन्होंने ब्रैंडेड कंटेंट के जरिए विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने की रणनीतियों पर भी काम किया।
‘जी मीडिया’ से पहले, मोना जैन ‘एबीपी नेटवर्क’ की चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के तौर पर कार्यरत थीं। नवंबर 2019 में ‘एबीपी नेटवर्क’ में शामिल होने से पहले, जैन ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (ऐड सेल्स) के पद पर साल 2014 से कार्यरत थीं। यहां अपने करीब पांच साल नौ महीने के कार्यकाल में नेटवर्क की दिल्ली ब्रांच की कमान उन्हीं के हाथों में थी। इसके अलावा वह ‘Zee Café’, ‘Zee Studio’, ‘Anmol, Zindagi’, ‘Salaam’ और ‘Jagran’ की नेशनल क्लस्टर हेड भी रह चुकी हैं1।
मोना जैन को मीडिया इंडस्ट्री में तीन दशक से ज्यादा का अनुभव है। ‘ZEEL’ में अपनी जिम्मेदारी निभाने से पहले वह ‘Vivaki Exchange’ की सीईओ और ‘Cheil Communications’ में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर भी रह चुकी हैं।
वहीं, पूजा दुग्गल की बात करें तो उन्होंने पिछले साल मई में इस मीडिया नेटवर्क में जॉइन किया था। पूजा दुग्गल को इंडस्ट्री में काम करने का 17 साल से ज्यादा का अनुभव है। ‘जी मीडिया’ से पहले वह ‘एचटी डिजिटल स्ट्रीम्स’ (HT Digital Streams) में एचआर हेड (डिजिटल बिजनेस) के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रही थीं।
‘एचटी मीडिया’ से पहले वह ‘रेचैम आरपीजी प्रा. लि.’ (Raychem RPG Pvt Ltd) में करीब पांच साल तक एचआर हेड रह चुकी हैं। पूर्व में वह ‘जिंदल स्टील’ (Jindal Steel) में सीनियर मैनेजर (ग्लोबल, एचआर) के पद पर काम करने के अलावा SISTEMA Shyam Teleservices और Right Management में भी अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।
पूजा दुग्गल ने दिल्ली में ‘गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी’ से इंफॉर्मेशन सिस्टम्स में ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा उन्होंने मुंबई के NMIMS (Narsee Monjee Institute of Management Studies) से एमबीए (Human Resources and Finance) किया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के माउंट आबू में ब्रह्माकुमारीज संस्था की ओर से आयोजित चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ किया।
राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू में शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्माकुमारीज संस्था की ओर से आयोजित चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। यहां ‘भारत एक्सप्रेस' (Bharat Express) न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय राय को ‘राष्ट्र चेतना अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपेंद्र राय ने कहा, ‘हमारे देश में अध्यात्म और धर्म को मिलाकर देखने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन मैंने जब से इस विषय को थोड़ा बहुत समझा और जाना, तो पाया कि आध्यात्मिकता और धर्म बिल्कुल अलग-अलग हैं, इसलिए थोड़ी बात धर्म पर और थोड़ी बात अध्यात्मिकता पर होनी चाहिए। धर्म जिन लोगों ने पाया, पैदा किया शायद उनके जीवन में कभी क्रांति का सूत्रपात हुआ होगा, तब कोई धर्म पैदा हुआ होगा, लेकिन हम जिस धर्म को मानते हैं, वह हमारा बपौती है, क्योंकि वह हमें मिला हुआ है।’
उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में न कभी कोई क्रांति हुई नहीं और न कोई परिवर्तन आया. इसलिए जब मैं सोचता हूं इस पड़ाव पर आकर तो मुझे लगता है कि अपने बच्चों को किसी धर्म की शिक्षा नहीं देनी चाहिए, बल्कि उसे वो सारी सुविधाएं मुहैया कराना चाहिए, जिससे वो सारे धर्मों को पढ़े। उसे मैं किसी भी धर्म का न बनाऊं, बल्कि ये आजादी दूं कि तुम जिस धर्म को चाहो वो पढ़ो और जिस दिन तु्म्हें मौज आ जाए, तुम्हारी आत्मा झूम उठे, उस दिन तुम उसी धर्म को अपना लेना, क्योंकि धर्म अनेक हैं और सभी धर्मों ने परमात्मा तक पहुंचने के रास्ते बताए हैं, लेकिन सभी रास्ते सही नहीं हैं, कोई एक रास्ता पकड़कर ही अंतिम तक पहुंचा जा सकता है। अगर मैं इसे दूसरे शब्दों में कहूं, तो साध्य और साधन महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि वो रास्ता महत्वपूर्ण है, जो एक दिन मंजिल में तब्दील हो जाता है।
उनका कहना था, ’जैसे कोई चित्रकार है, कोई कवि है या फिर कोई गणितज्ञ है और कवि को हम अगर गणित का धर्म दे दें तो शायद उसे उस रास्ते पर चला नहीं जाएगा। कवि का मन बड़ा निर्मल होता है, वो गणित के सवालों को, पहेलियों को शायद सुलझाते-सुलझाते फेल हो जाए, ठीक ऐसा ही हम सबके जीवन में भी होता है। हम अपने दिमाग में इतना ज्यादा कूड़ा-करकट भर लेते हैं कि मूल्यवान चीजों को रखने की जगह ही नहीं बचती है। अध्यात्म हमें सिखाता है कि जीवन में मूल्यवान चीजों के लिए कम मूल्यवान चीजों को जितनी तन्मयता से छोड़ता चला जाता है, वही जीवन में सही अर्थों में अध्यात्मिक संतुलन को प्राप्त करता है, लेकिन अक्सर हम देखते हैं कि जो हमने रहीम के दोहे में पढ़ा है कि ‘साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय’. रहीम कहते हैं कि साधु और सज्जन का स्वभाव सूप की तरह होना चाहिए. जो व्यर्थ को हटा दे और मूल्यवान चीजों को बचा ले, आध्यात्म भी हमें यही सिखाता है।’
इस मौके पर उपेंद्र राय ने कहा, ’अगर हम रास्ते पर पड़ा कंकड़-पत्थर या फिर कांटा किसी दूसरे के लिए उठाकर फेंक दें या फिर किसी के आंगन में जाकर वहां पर झाड़ू लगा दें, यही अध्यात्म है। इसके अलावा जो भी है वो सिर्फ कर्मकांड है, जिससे जीवन में सिर्फ कूड़ा-कचरा के अलावा कुछ भी इकट्ठा नहीं होता है। अध्यात्म हमारे रोज के जीवन का हिस्सा है, लेकिन संतत्व उसकी मंजिल है।’
पूर्व पत्रकार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य सुप्रिया श्रीनेत ने दिवंगत पिता हर्षवर्धन श्रीनेत को याद करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की है।
पूर्व पत्रकार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता और कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की सदस्य सुप्रिया श्रीनेत ने अपने दिवंगत पिता हर्षवर्धन श्रीनेत को याद करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की है।
अपनी पोस्ट में सुप्रियया श्रीनेत ने लिखा है, ‘आठ साल पहले आज ही के दिन आप एक अनंत यात्रा पर निकल गये। लेकिन आप वास्तव में कभी कहीं गए ही नहीं। आपका वजूद मेरे हर ओर मौजूद है। मेरे निर्णयों में, मेरे साहस में, मेरी मुस्कान में और सबसे बढ़कर मेरी लड़ने की ताक़त में। आपकी याद आती है पापा। आप हमेशा वह शख़्स रहेंगे, जिसके जैसा मैं बनना चाहती हूं।’
8 years ago on this day, you travelled onwards
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) October 4, 2024
But you’ve never really been gone
You have been around in spirit
In my choices
In my courage
In my smile
And most of all in my good fights
Miss you Papa - you will always be the person I aspire to be ❤️ pic.twitter.com/EqdPWjV2p2
विमला पाटिल ने वर्ष 1959 में इस मैगजीन की लॉन्चिंग के समय बतौर एडिटर यहां जॉइन किया था और वर्ष 1993 तक कार्यरत रही थीं।
जानी मानी मैगजीन ‘फेमिना’ (Femina) की पूर्व एडिटर विमला पाटिल का निधन हो गया है। वह करीब 91 साल की थीं। विमला पाटिल ने वर्ष 1959 में इस मैगजीन की लॉन्चिंग के समय बतौर एडिटर यहां जॉइन किया था और वर्ष 1993 तक कार्यरत रही थीं।
फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता शुरू करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसके जरिये भारतीय मॉडल्स को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भेजा गया। किताब लिखने के अलावा उन्होंने महिलाओं से जुड़े व सामाजिक मुद्दों पर भी काफी लिखा।
विमला पाटिल के निधन पर मीडिया जगत से जुड़े तमाम लोगों और उनके शुभचिंतकों ने दुख जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
राज्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय रविवार को भोपाल में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक को संबोधित कर रहे थे।
मध्य प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि आज के दौर में पत्रकारिता के क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहा है। इस दौर में कई कारणों से पत्रकारों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि बदलते दौर में भी पत्रकार अपनी निष्पक्ष खबरों से जनता में अपनी विश्वसनीयता और मजबूत कर सकते हैं।
मंत्री विजयवर्गीय रविवार को भोपाल में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर संगोष्ठी के माध्यम से "मीडिया के बदलते परिदृश्य और चुनौतियों" के संबंध में विचार विमर्श किया गया। कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राधा सिंह व विधायक सिंगरौली रामनिवास शाह भी मौजूद थे।
मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि लोकतंत्र के जरिये समाज में सभी को समान अधिकार मिले हैं। इस वजह से पत्रकारों के अधिकारों की भी सीमा है। उन्होंने कहा कि प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ सोशल मीडिया का भी विस्तार हुआ है। इस विस्तार में खबरों की जिम्मेदारी को लेकर समाज में खतरे भी बढ़े हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि पत्रकार स्वयं अपने मानक तैयार कर समाज में आदर्श प्रस्तुत करें।
राज्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि देश की आजादी के बाद नवगठित सरकारों ने देश में तुष्टिकरण को बढ़ाया है। इससे समाज में असमानता का माहौल निर्मित हुआ। वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देशहित में धारा 370 को समाप्त कर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया। उन्होंने कहा कि संविधान के माध्यम से देश के प्रत्येक राज्य के नागरिकों को एक समान अधिकार दिये गये हैं।
विजयवर्गीय ने आगे कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। इस वजह से दुनिया में भारत की साख मजबूत हुई है और भारत की आवाज को दुनिया पूरी गंभीरता से सुनती है।
राज्य मंत्री राधा सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय पत्रकारिता का अपना अलग महत्व है। क्षेत्रीय खबरों से ही राष्ट्रीय स्तर की खबरें बनती है। उन्होंने क्षेत्रीय पत्रकारों के लगातार प्रशिक्षण पर भी जोर दिया। कार्यक्रम को एनयूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासबिहारी, राष्ट्रीय महासचिव प्रदीप तिवारी, एब्सोल्यूट ग्राम्य के डॉ. पंकज शुक्ला, जोनल कोऑर्डिनेटर एवं मीडिया इंचार्ज डॉ. बी.के. रीना, एसओआर सुप्रीम कोर्ट अश्वनी दुबे ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी में देशभर के 13 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस अवसर पर आर्टिकल 32 पर लिखित अश्विनी दुबे की पुस्तक का विमोचन भी किया।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के चेयरमैन और पूर्व मंत्री डॉ.सीपी राय ने इस बाबत ‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा को एक लेटर लिखा है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हिंदी न्यूज चैनल ‘जी न्यूज’ (Zee News) के बारे में अपने प्रवक्ताओं की शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की है। इसके साथ ही अगले आदेश तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के किसी भी प्रवक्ता को इस चैनल पर होने वाली डिबेट्स में शामिल होने और किसी भी मुद्दे पर बाइट (बयान) देने से रोक दिया है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के चेयरमैन और पूर्व मंत्री डॉ.सीपी राय ने इस बाबत ‘जी न्यूज’ के मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा को एक लेटर लिखा है। इस लेटर की एक कॉपी ‘जी न्यूज’ के यूपी हेड रमेश चंद्रा को भी भेजी गई है।
इस लेटर में डॉ. सीपी राय का कहना है, ’उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ताओं द्वारा लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि आपके चैनल पर आयोजित की जाने वाली डिबेट्स में कांग्रेस पार्टी का पक्ष रखने के लिए प्रवक्तागण जाते हैं। मगर अफसोस है कि उन्हें अपनी बात कहने नहीं दिया जाता और उनका माइक भी बंद कर दिया जाता है।
यहां तक शिकायत आई है कि कांग्रेस प्रवक्ताओं को पूरे टाइम सिर्फ बैठाए रखा गया और बोलने तक का मौका नहीं दिया गया। ऐसे में मैं यह निर्णय लेने के लिए विवश हूं कि मेरे अग्रिम आदेश तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी का कोई भी अधिकृत प्रवक्ता आपके चैनल पर होने वाली डिबेट्स में न तो शामिल होगा और न ही किसी मुद्दे पर बाइट देगा।’
डॉ. सीपी राय ने इस लेटर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर भी शेयर किया है।
— Dr C P Rai (@cprai) September 26, 2024
करीब डेढ़ साल पहले मेनस्ट्रीम मीडिया को अलविदा कहकर सोशल सेक्टर में शिफ्ट हो चुके हैं विजय रावत
मेनस्ट्रीम मीडिया छोड़कर सोशल सेक्टर में शिफ्ट हुए पत्रकार विजय रावत को ‘कटोरी फूड एंड बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड’ में सीईओओ यानी चीफ एग्जिक्यूटिव ऑपरेटिंग ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया गया है। कटोरी फूड एक एफएमसीजी ब्रैंड है, जो ग्रामीण महिलाओं के बनाए हुए प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग करता है।
बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले ‘जी न्यूज’ में मल्टीमीडिया हेड का पद छोड़कर विजय ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्यरत मंजरी फाउंडेशन में कम्युनिकेशन हेड के तौर पर जॉइन किया था।राजस्थान, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में सक्रिय मंजरी फाउंडेशन के फाउंडर और ईडी संजय कुमार फोर्ड फाउंडेशन के फेलो रहे हैं। मंजरी फाउंडेशन के तहत महिलाओं को माइक्रोइंटरप्राइजेज लगाने में मदद की जाती है फिर उन ग्रामीण महिलाओं के बनाए प्रॉडक्ट्स को मार्केट में कटोरी ब्रैंड के नाम से बेचा जाता हैं, ताकि ग्रामीण महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हो सके।
समाचार4मीडिया से बातचीत में विजय ने बताया कि अब वह मंजरी फाउंडेशन में कम्युनिकेशन हेड के साथ-साथ कटोरी फूड के सीईओओ का कामकाज संभालेंगे। विजय इससे ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ में सीनियर एसोसिएट एडिटर के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन पॉलिसी मेकिंग रिसर्च पर कार्य करती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात और एग्जाम वॉरियर्स की किताब की टेक्निकल पार्टनर भी है।
इसके अलावा विजय ’जनसंदेश’ और ’इंडिया न्यूज’ हरियाणा में आउटपुट हेड की भूमिका निभा चुके हैं। इसके साथ ही वह ’इंडिया टीवी’ और ’टीवी9 ’ के बॉलीवुड चैनल लहरें में भी आउटपुट हेड की भूमिका निभा चुके हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएट विजय ने ‘माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी’, भोपाल से ब्रॉकास्ट जर्नलिज्म में मास्टर्स की डिग्री ली है।