ब्रह्मांड में सभी को किसी न किसी की तलाश है। इस ‘तलाश’ को वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विनोद पुरोहित ने कविता के माध्यम से खूबसूरत अंदाज में बयां किया है।
कई बार इन बच्चों को कोई पैसा दे देता है तो इनकी आंखों में एकदम से चमक आ जाती है तो कई बार इन्हें निराश होना पड़ता है
कवि ने इस कविता के माध्यम से देश व समाज कल्याण के लिए कई कार्य करने की इच्छा जताई है।
कवि ने कविता के माध्यम से एक पत्रकार की शुरुआत से लेकर उसकी नौकरी जाने तक के बारे में वर्णन किया है
हिंदी दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ के प्रधान संपादक शशि शेखर के पिता व हिंदी ...
जो लोग कहते हैं कि टीवी न्यूज के पत्रकारों में रचनात्मकता नहीं होती...
दोस्तो, कविता लिखना तो बस अपने अंदर के और आसपास के विश्व को देखना भर है...