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दिनकर चाहते थे कि उनकी कृतियों की समग्रता में चर्चा हो लेकिन जब सिर्फ उनकी राष्ट्र आधारित कविताओं की चर्चा होती तो वो झुब्ध हो जाते।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago


हठ करती थी बचपन में मैं, लेने को चुनरी रंग बिरंगी। कहती थी मुझको भी है, घूंघट वाला खेल खेलना बस आज अभी।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago


इस कविता के माध्यम से कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि कोविड-19 ने हमारी दिनचर्या पर किस तरह का प्रतिकूल प्रभाव डाला है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago


वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विनोद पुरोहित ने इस कविता के माध्यम से जीवन के सफर को बहुत ही संजीदगी के साथ बयां किया है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago


जब नहीं रहेगी बच्चों की मुस्कुराहटें, औरतों की फुसफुसाहटें, बात बे बात पर आने वाली खिलखलाहटें, ये दुनिया किस काम की रहेगी...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago


लॉकडाउन के बीच पलायन करते मजदूरों के कई विडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इनमें से कुछ ऐसे भी थे, जिन्हें देखकर आंखें नम हो जाएं।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago


डॉ. विनोद पुरोहित ने अपने विचारों को इस कविता के माध्यम से खूबसूरत अंदाज में पिरोने का काम किया है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago


इस कविता के माध्यम से कवि का कहना है कि यदि जलना ही है तो इस तरह जलें जिससे किसी को फायदा हो न कि नुकसान

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago


इस कविता के माध्यम से कवि बताना चाहता है कि वह बहुत कुछ करना चाहता है, लेकिन उसे इसका रास्ता नहीं सूझ रहा है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago


इस गजल के द्वारा कवयित्री ने यह बताने की कोशिश की है कि दुनिया व जिंदगी में काफी कुछ घटित होने के बावजूद किस तरह इनसे अनभिज्ञता बनी रहती है

समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago