आईआईएमसी में आयोजित 'शुक्रवार संवाद' में पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा विषय पर अपने विचार व्यक्त किए
अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार को लेकर कांग्रेस नेता नाना भाऊ फाल्गुन राव पटोले के ऐलान पर वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने रखी अपनी बात
एक बार फिर गंभीर विवाद। प्रिंट, टीवी चैनल, सीरियल, फिल्म, सोशल मीडिया को कितनी आजादी और कितना नियंत्रण? सरकार, प्रतिपक्ष और समाज कभी खुश, कभी नाराज।
‘इंडियन इंफोटेनमेंट मीडिया कॉरपोरेशन’ की ओर से दिल्ली में 14 दिसंबर को ‘इंटरनेशनल कोरोनावायस शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल’ का आयोजन किया जा रहा है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में 26 अक्टूबर से नवागत विद्यार्थियों के आत्मीय प्रबोधन और करियर मार्गदर्शन के लिए ‘संत्रारंभ 2020’ का आयोजन किया जा रहा है।
मालवा क्षेत्र के उज्जैन, इंदौर और सिंधिया रियासत के ग्वालियर में उस समय पत्रकारिता के मामा आदरणीय माणिकचंद वाजपेयी और बाबा राहुल बारपुतेजी को पहले पढ़ने, फिर देखने-मिलने का सौभाग्य मिला
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी क्या अप्रसन्न होंगे? बात उनकी सरकार और व्यवस्था की है। हां, उनके वरिष्ठ सहयोगियों के पास यह जानकारी नहीं होने से कुछ नाराजगी होगी।
‘यूनिवर्सल पीस फेडरेशन’ (UPF)-एशिया पैसिफिक की ओर से 11 से 13 सितंबर के बीच ‘इंटरनेशनल लीडरशिप कॉन्फ्रेंस’ (ILC) 2020 का आयोजन किया गया।
इन दिनों मीडिया के कई दिग्गज, राजनेता, सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय लोग और सामान्य जनता का एक वर्ग किसी लगाम, नियंत्रण, लक्ष्मण रेखा की बात कर रहे हैं।