राक्षस कभी भी, किसी भी रूप में तबाही के लिए आ सकता है। इसी तरह जहर के अनेक रूप होते हैं।
भारतीय पत्रकारिता में राजेंद्र माथुर जी और मनोहर श्याम जोशी जी ने सैकड़ों पत्रकारों को तैयार किया और उन्हें लेखन के लिए व पत्रकारिता को नई दृष्टि देने के लिए प्रेरित किया।
बोफोर्स तोप, राफेल लड़ाकू विमान, एस-400 मिसाइल, एचडीडब्ल्यू पनडुब्बी और परमाणु अस्त्र से शक्ति संपन्न होने पर भी क्या हम युद्ध चाहते हैं
ऐसा संकट काल मैंने कभी नहीं देखा, फिर चाहे युद्ध का समय ही क्यों न हो। जब मैंने पढ़ाई की या पत्रकारिता की तब भी मैंने इस तरह का दौर नहीं देखा
‘बिजनेस वर्ल्ड’ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा शनिवार को एक वेबिनार में मीडिया जगत की तीन हस्तियों से वन टू वन' टॉक करेंगे।
बहुत पुरानी कहावत है- 'दुल्हन बड़ी प्यारी, लेकिन चौके में मत आना'। इन दिनों समाज, राजनीतिक-आर्थिक मंचों और मीडिया में इसी तरह के तर्क गंभीरता से उठ रहे हैं।
मार्ग्रेट थैचर हों या जॉन मेजर या वर्तमान प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन या अमेरिकी राष्ट्रपति, सुरक्षा के मामलों में हमेशा गोपनीयता रखते हैं।
विश्वबंधु गुप्ता कई वर्षों तक कांग्रेस की दिल्ली इकाई में वरिष्ठ पद पर रहे थे और उन्होंने कांग्रेस के कई चुनावी अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाई थी।
हथियारों के बजाय हमलों के नए तरीके महाशक्तिशाली कहलाने वाले देश ही नहीं, आतंकवाद का सबसे बड़ा पोषक पाकिस्तान भी अपना रहा है।
वर्ष 2019 में विभिन्न मीडिया संस्थानों से एक हजार से ज्यादा पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाया गया था।