प्रतिपक्ष अतिवादी संगठनों के लोग ही नहीं मीडिया का एक वर्ग भी भारतीय मीडिया को सत्ता से आतंकित या भक्त होने का आरोप लगाते हैं। इसके लिए भी ‘महान’ न्यूयॉर्क टाइम्स का हवाला ऐसे दिया जाता है
यह बात उन क्रांतिकारी समझने वाले चर्चित टीवी हस्तियों को भी स्वीकारना चाहिए, जो आजकल स्वयं मीडिया पर भरोसा नहीं करने और उन्हें छोड़कर सबको नाकारा साबित करने में लगे हुए हैं।
नोएडा के रेडिसन ब्लू होटल में 22 फरवरी को बहुप्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यू्ज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ का आयोजन किया गया
राजनीतिक गलियारों के अलावा सरकारी एजेंसियां और देश-विदेश की निजी एजेंसियां भी वर्षों से अधिकृत अथवा गैरकानूनी ढंग से भारत में जासूसी करती रही हैं
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार की आलोचना-विरोध की पूरी गुंजाइश है, लेकिन क्या यह इतना गंभीर मामला है, जिससे आधुनिक भारत की छवि बिगड़ रही है
मुख्यमंत्री इतनी सी बात नहीं समझ सकते कि बाहर से आने वाले पत्रकार कम से कम पूर्वाग्रही हो सकते हैं। स्थानीय पत्रकार तो स्वयं बाढ़ या अन्य कारणों से सरकार से निजी नाराजगी रख सकता है
योग, स्वच्छ भारत, प्लास्टिक से मुक्ति, स्वस्थ भारत जैसे अभियान सही अर्थों में भारत को शक्तिशाली और संपन्न बना सकते हैं
सरकार को बड़ी संख्या में नए साक्षर ग्रामीणों के लिए प्रिंट कंटेंट के दरवाजे खोलने चाहिए, जो आने वाले 20 सालों में पंचायत स्तर पर एक बड़ा मार्केट बनेगा।
प्रभात खबर की 35वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अखबार की ओर से किया गया कार्यक्रम का आयोजन
अखबार की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने कहा, आज के दौर में अखबारों के समक्ष विश्वसनीयत बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है